साराह सन्नी: एक वकील जो सुन नहीं सकतीं, अब जज के सामने दे सकती हैं दलील

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7 वर्षीय बधिर अधिवक्ता साराह सन्नी बदलाव का चेहरा बनकर उभरी हैं. वो उन लोगों को भारत की क़ानून व्यवस्था के और क़रीब लेकर आएंगी जो सुन या बोल नहीं सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने पिछले सप्ताह एक अहम फ़ैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान इंडियन साइन लेंगुएज यानी आईएसएल इंटरप्रेटर (दुभाषिए) के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है.

सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले ने न सिर्फ़ युवा वकील साराह सन्नी को अगली सुनवाई में अपना तर्क रखने का मौक़ा दिया है बल्कि ये कार्यस्थल पर बराबरी और समावेश की दिशा में एक बड़ा क़दम भी माना जा रहा है.

पछले दो सालों के दौरान, साराह सन्नी को बेंगलुरु की निचली अदालत में मामले की सुनवाई के लिए संकेतों की भाषा समझने वाले दुभाषिए के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिली थी क्योंकि जज का मानना था कि क़ानूनी भाषा को समझने के लिए इंटरप्रेटर को क़ानूनी पृष्ठभूमि से होना चाहिए.

साराह सन्नी को अदालत में लिखकर अपने तर्क देने पड़ते थे.


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