चुनावी रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर ने कहा कि संविधान में दिया गया आरक्षण उचित था और इसे तब तक जारी रखा जाना चाहिए जब तक समाज सामाजिक समानता हासिल नहीं कर लेता।
हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य में लागू शराबबंदी कानून को समाप्त किया जाना चाहिए क्योंकि जहां तक लोगों या समाज के सामाजिक और आर्थिक सुधार की बात है तो यह ‘बेकार’ है।
प्रशांत किशोर ने अपनी पदयात्रा के 121वें दिन गोपालगंज जिले के कुचायकोट प्रखंड में आरक्षण जैसे संवेदनशील मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट की। प्रशांत किशोर ने कहा, “हमें समाज के उन वर्गों को साथ लेने के लिए सामूहिक प्रयास करना होगा जो सामाजिक आर्थिक कारणों से पीछे छूट गए हैं।”
उन्होंने कहा कि ‘शुरुआत में’ आरक्षण 10 साल तक जारी रहना था, क्योंकि उस समय तक यह महसूस किया गया था कि देश में “समान समाज” होगा, लेकिन आज तक ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने तब की सोच के विपरीत यह भी कहा, “देश की आर्थिक प्रगति भी 10 से 20 वर्षों में नहीं हुई।”
शराबबंदी के मुद्दे पर किशोर ने कहा, “बिहार में मैं अकेला व्यक्ति हूं जो कह रहा है कि राज्य में शराबबंदी कानून बेकार है और इसे खत्म कर देना चाहिए।”
उन्होंने कहा, “दुनिया भर में, किसी देश, राज्य या समूह का कोई सबूत नहीं है जो यह कह सके कि शराबबंदी लागू करके उसने सामाजिक और आर्थिक विकास हासिल किया है।” किशोर ने कहा कि यहां तक कि महात्मा गांधी ने भी यह नहीं कहा कि सरकारों को मद्यनिषेध कानून लागू करना चाहिए।
किशोर ने समझाया, “उन्होंने केवल शराब पीने को गलत बताया और सामाजिक जागरूकता बढ़ाने और समाज और लोगों को शराब छोड़ने के लिए तैयार करने पर जोर दिया।”