इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का बढ़ा ट्रेंड: कैशलेस हो जाएगी अर्थव्यवस्था, 1 साल में कार्ड से पेमेंट में 27% की बढ़ोतरी

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देश में कार्ड पेमेंट का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। देश में कार्ड पेमेंट पिछले साल लगभग 27% बढ़ा। ग्लोबल डेटा का अनुमान है कि यह अगले चार वर्षों में 18.7% की वार्षिक दर से बढ़ेगा। डेटा और एनालिटिक्स कंपनी के मुताबिक 2026 तक देश में कार्ड पेमेंट 43.3 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।

ग्लोबल डेटा के पेमेंट कार्ड एनालिटिक्स के अनुसार, 2022 के दौरान भारत में कार्ड द्वारा किए गए पेमेंट के मूल्य में 26.7% की वृद्धि हुई है। इसका एक बड़ा कारण आम जनता के बीच इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का बढ़ता चलन और पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार है। कोविड-19 प्रतिबंधों के हटने के बाद उपभोक्ता खर्च में वृद्धि के बीच पिछले साल बड़े पैमाने पर कार्ड से पेमेंट हुआ। एक विश्लेषक के अनुसार, ‘हाल के वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट तेजी से बढ़ रहा हैं। सरकार भी कार्ड स्वाइप, यूपीआई या इंटरनेट के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट का समर्थन करती रही है।

क्रेडिट कार्ड, चार्ज कार्ड द्वारा दो तिहाई पेमेंट 

ग्लोबल डेटा के मुताबिक, 2022 में हर 100 में से सिर्फ 6.3 लोगों के पास ही क्रेडिट कार्ड और चार्ज कार्ड हैं। लेकिन कुल कार्ड पेमेंट में इनकी हिस्सेदारी 63.2% रही है। वहीं, हर 100 में से 71.7 लोगों के पास डेबिट कार्ड हैं, लेकिन कुल पेमेंट में उनकी हिस्सेदारी 36.8 फीसदी रही। यानी क्रेडिट कार्ड के जरिए ज्यादा खर्च किया जा रहा है।

आरबीआई का पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड से मिली सहायता 

रिज़र्व बैंक ने जनवरी 2021 में पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (PIDF) बनाया था। इसके द्वारा पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) टर्मिनल और क्यूआर कोड लगाने वाले व्यापारियों को सब्सिडी देकर पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार किया गया। इसके तहत टियर 3-6 शहरों के व्यापारियों को पीओएस टर्मिनलों के लिए 30-50% और क्यूआर कोड के लिए 50-75% सब्सिडी दी गई।


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