दिल्ली: वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने से शादियां कमजोर होगी, पुरुष आयोग सुप्रीम कोर्ट पहोंचा

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सुप्रीम कोर्ट में वैवाहिक दुष्कर्म (मैरिटल रेप) को अपराध घोषित करने के खिलाफ याचिका दायर की गई है. जिसमें कहा गया है कि अगर मैरिटल रेप को अपराध बना दिया जाता है तो इससे शादियों में अस्थिरता आ सकती है। बता दें कि यह अर्जी एक एनजीओ पुरुष आयोग ने दाखिल की है। एनजीओ पुरुष आयोग की अध्यक्ष बरखा त्रेहान ने सुप्रीम कोर्ट से वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने के लिए जो याचिकाएं दाखिल की गई है उसमें हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

जबरन संबंध बनाने का कोई सबूत है तो सिर्फ पत्नी की गवाही 

इस याचिका में कहा गया है कि शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत संविधान की मूल संरचना का हिस्सा है और केवल विधानमंडल के पास किसी भी कृत्य को आपराधिक बनाने की शक्ति है। याचिका के मुताबिक, ‘बिना पर्याप्त सबूतों के मैरिटल रेप का मामला शादी को खत्म कर सकता है। यदि जबरन संबंध बनाने का कोई सबूत है तो सिर्फ पत्नी की गवाही होगी। यह विवाह संस्था को आसानी से अस्थिर कर सकता है।’

एनजीओ के वकील विवेक नारायण शर्मा के जरिए यह याचिका दाखिल की है। जिसमें कहा गया है कि देश भर में ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां महिला द्वारा झूठे आरोप लगाने के बाद पुरुष ने आत्महत्या कर ली. याचिका के मुताबिक, ऐसे कई मामले हैं जिनमें विवाहित महिलाओं ने कानून के प्रावधानों का गलत इस्तेमाल किया है। अगर आईपीसी की धारा 375 से अपवाद 2 को हटा दिया जाए तो यह महिलाओं के लिए अपने पतियों को परेशान करने का एक आसान साधन बन जाएगा।

कोर्ट ने सरकार से 15 फरवरी तक जवाब मांगा

केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कोर्ट में पेश हुए। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि यह मामला कानूनी है और साथ ही सामाजिक प्रभाव वाला भी है। कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार का रुख भी पूछा है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट वैवाहिक दुष्कर्म को अपराध घोषित करने की मांग वाली याचिकाओ पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से 15 फरवरी तक जवाब मांगा है। इस मामले की सुनवाई मार्च में होगी।


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